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Wednesday 19 September 2012

UPTET - मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को टीईटी से छूट दिलाने की कवायद

UPTET - टीईटी - TET

UPTET - मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को टीईटी से छूट दिलाने की कवायद




- रास्ता तलाशने को बेसिक शिक्षा महकमे ने न्याय विभाग से मांगा अभिमत
- न्याय विभाग ने दी सकारात्मक सलाह
राजीव दीक्षित लखनऊ :
सूबे में निजाम बदलने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने भी सुर बदल लिये हैं। विभाग अब 1997 से पहले के मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से डिप्लोमा इन टीचिंग सर्टिफिकेट हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को शिक्षकों की नियुक्ति में अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से छूट देने की राह तलाश रहा है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा महकमे को न्याय विभाग से भी सकारात्मक सलाह मिली है।
परिषदीय स्कूलों में 1997 से पहले मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों और एएमयू से डिप्लोमा इन टीचिंग सर्टिफिकेट प्राप्त करने वालों को बतौर उर्दू शिक्षक नियुक्त किया गया था। वर्तमान में उर्दू शिक्षकों के 2911 पद रिक्त हैं। शासन ने 13 सितंबर 1994 को मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को बीटीसी उर्दू के समकक्ष घोषित किया था जो उर्दू भाषा के अध्यापन के समकक्ष योग्यता थी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के गठन के बाद शासन ने 11 अगस्त 1997 को बीटीसी के समकक्ष घोषित सभी समकक्षताएं समाप्त कर दी थीं। इसके खिलाफ कई रिट याचिकाएं हाई कोर्ट में दाखिल की गईं।
इनमें से एक मामले में हाई कोर्ट ने 14 जुलाई 2010 को राज्य सरकार को आदेश दिया कि उर्दू शिक्षकों के पद पर नियुक्ति के लिए मुअल्लिम-ए-उर्दू की उपाधि को बीटीसी (उर्दू) के समकक्ष मान्यता दी जाए। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में विशेष अपील दाखिल की थी। विशेष अपील में भी हाई कोर्ट ने अपने फैसले की पुष्टि की। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल की जिसे बाद में उसने वापस ले लिया। मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारक शिक्षकों की नियुक्ति में टीईटी से छूट दिये जाने की मांग करते रहे हैं लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। हाल ही में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हस्तक्षेप के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने रास्ता निकालने के लिए न्याय विभाग से अभिमत मांगा।
न्याय विभाग का अभिमत है कि हाई कोर्ट के फैसले और उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुज्ञा याचिका को वापस लिये जाने के बाद हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश का अनुपालन बाध्यकारी हो जाता है। न्याय विभाग का कहना है कि मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारक और एमएयू से डिप्लोमा इन टीचिंग उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नियुक्त से संबंधित प्रकरण एनसीटीई की ओर से 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना से पहले से लंबित चल रहा है और उर्दू शिक्षकों के 2911 पद रिक्त हैं। न्याय विभाग ने यह भी कहा है कि चूंकि ऐसे अभ्यर्थियों का आयु संबंधी प्रकरण भी विचाराधीन है, ऐसी दशा में उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली के प्रावधानों के तहत छूट प्रदान किये जाने के लिए कैबिनेट का अनुमोदन प्राप्त करना उचित होगा। हालांकि बेसिक शिक्षा महकमे ने न्याय विभाग से पूछा है कि चूंकि उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के बारे में 23 अगस्त 2010 से पहले कोई विज्ञप्ति नहीं जारी हुई थी, ऐसे में क्या मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को एनसीटीई की अधिसूचना की धारा-5 का लाभ दिया जा सकता है या नहीं? 

Source - Jagran
19-9-2012

2 comments:

Unknown said...

sc/st 50% wale sathiyo 21 sep.ko allahabad challo abe bebkupho kam se sehyog to de sakte ho. R.P.Singh.....09878947213

Unknown said...

obc(ph) gurank=59.11,Acd=254,Tet=97 science group kya chance hai